Wednesday, April 9, 2014

मुक्तक : 521 - इक नज़र गौर से देखो



( चित्र Google Search से साभार )

इक नज़र गौर से देखो जनाब की सूरत II
दिल फटीचर है मगर रुख नवाब की सूरत II
कैक्टस है वो कड़क ठोस ख़ुशनसीबी से ,
पा गया खुशनुमा नरम गुलाब की सूरत II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...