Friday, April 18, 2014

मुक्तक : 528 - कोयल-कुहुक से काक


कोयल-कुहुक से काक-काँव-काँव से पूछो II
इन झूठे शह्रों से न गाँव-गाँव से पूछो II
मेरी सचाई की जो चाहिए गवाहियाँ ,
हर-धूप-चाँदनी से छाँव-छाँव से पूछो II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...