Sunday, April 13, 2014

मुक्तक : 524 - तिल-ख़ुशी से आस्मां



तिल-ख़ुशी से आस्मां सा दूर हूँ II
ताड़-ग़म सीने में ढो-ढो चूर हूँ II
पूछ मत मेरी मियादे ज़िन्दगी ,
यूँ समझ ले इक खुला काफ़ूर हूँ II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...