Friday, April 11, 2014

मुक्तक : 523 - जो कर रहा है तू वो



जो कर रहा है तू वो गुनह है ज़लाल है ।।
मरने का ग़म नहीं है मुझे ये मलाल है ।।
मैं तुझको सरपरस्त समझता था तू मगर ,
अपने ही हाथों कर रहा मुझको हलाल है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...