Wednesday, April 9, 2014

मुक्तक : 520 - जबसे आया है ख़यालों में


जबसे आया है ख़यालों में खुलापन मेरे II
ज़र्द पत्तों में निखर आया हरापन मेरे II
वक़्त-ए-रुख्सत है मगर देखो हरक़तें मेरी ,
भर बुढ़ापे में छलकता है युवापन मेरे  II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...