जबसे आया है ख़यालों में खुलापन मेरे II
ज़र्द पत्तों में निखर आया हरापन मेरे II
वक़्त-ए-रुख्सत है मगर देखो हरक़तें मेरी ,
भर बुढ़ापे में छलकता है युवापन मेरे II
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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