Saturday, July 25, 2015

मुक्तक : 735 - है युवा पुरुषार्थ कर


( चित्र गूगल सर्च से साभार )
हर घड़ी आलस्य में पड़ लेट कर ॥
मत बढ़ा चर्बी बड़ा मत पेट कर ॥
है युवा पुरुषार्थ कर भरसक अरे ,
सो के जीवन को न मटिया मेट कर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...