Friday, July 17, 2015

मुक्तक : 730 - केले के छिलके



( चित्र गूगल सर्च से साभार )

केले के छिलके को न फैली काई बना दो ॥
पतली दरार को न चौड़ी खाई बना दो ॥
संशय के पर्वतों को शक्य हो तो उसी क्षण ,
विश्वास से मिटा दो या कि राई बना दो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...