Sunday, July 19, 2015

मुक्तक : 732 - तक़दीर से तक़रार से ॥


जीत की हसरत लिए हासिल क़रारी हार से ,
प्यार के बदले लगाती ज़िंदगी की मार से ;
इतना आज़िज़ आ चुका हूँ मैं कि तौबा दूर ही -
अब तो रहना है मुझे तक़्दीर से तक़रार से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...