Thursday, July 16, 2015

मुक्तक : 729 - टाँगें उल्टी वो मोड़ता है


टाँगें उल्टी वो मोड़ता है न आँखों को ही वो फोड़ता ॥
ना उखाड़े वो चोंच ना गरदन मरोड़ के तोड़ता ॥
है परिंदों का ऐसा दुश्मन मारता न कभी उन्हें ,
बाँध पिंजरे में डाल देता या पर क़तर के वो छोड़ता ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

( चित्र गूगल सर्च से साभार )

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...