Friday, July 24, 2015

मुक्तक : 734 - ज़िंदगी यह मौत सी......


( चित्र गूगल सर्च से साभार )
सिर्फ़ दो या चार ही दम को मिली ॥
उसपे तुर्रा यह फ़क़त ग़म को मिली ॥
किस सज़ा को उस ख़ुदा से इस क़दर ,
ज़िंदगी यह मौत सी हमको मिली ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...