Friday, January 9, 2015

मुक्तक : 659 - मिर्ची की चटनी गालों के


मिर्ची की चटनी गालों के छालों पे मत घिस ।।
काजल उबटन जैसा गोरे गालों पे मत घिस ।।
तेल बदाम का , नरियल का , जैतून का छोड़ अरे ,
केरोसिन-डीज़ल घुँघराले बालों पे मत घिस ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Yogi Saraswat said...

बहुत शानदार मुक्तक !!

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । Yogi Saraswat जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...