Saturday, January 31, 2015

मुक्तक : 666 - हो गया इक दिन नशा



खुल के या छुप के जनाब अच्छा नहीं ॥
ताकना उनका शबाब अच्छा नहीं ॥
हो गया इक दिन नशा भूले मगर ,
रोज़ ही पीना शराब अच्छा नहीं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...