Thursday, January 8, 2015

मुक्तक : 658 - तोहफ़े वो भेजें


तोहफ़े वो भेजें जानबूझकर न भूल के ।।
काँटों के वो भी नोकदार चुन बबूल के ।।
उस पर भी तुर्रा कहके ये कुबूलें हम उन्हें ,
जैसे वो फाहे रूई के हों , गुच्छे फूल के ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...