Friday, January 2, 2015

मुक्तक : 656 - मत भरो आह


मत भरो आह न सिसको न तुम कराह करो ॥
मैं तो कहता हूँ हँसो और वाह - वाह करो ॥
मुझको मिटने में भी सच बनने की सी ही होगी ख़ुशी ,
शौक़ से तुम ही बशर्ते मुझे तबाह करो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...