मिर्ची की चटनी गालों के छालों पे मत घिस ।।
काजल उबटन जैसा गोरे गालों पे मत घिस ।।
तेल बदाम का , नरियल का , जैतून का छोड़ अरे ,
केरोसिन-डीज़ल घुँघराले बालों पे मत घिस ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
बहुत शानदार मुक्तक !!
धन्यवाद । Yogi Saraswat जी ।
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