Sunday, January 18, 2015

मुक्तक : 661 - बेकार है , ख़राब है


बेकार है , ख़राब है , बहुत ग़लीज़ है ॥
उसके लिए है सस्ती मुफ़्त जैसी चीज़ है ॥
बेशक़ नहीं हो मेरी ख़ुशगवार ज़िंदगी ,
मुझको मगर बहुत बहुत बहुत अज़ीज़ है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...