Thursday, January 22, 2015

मुक्तक : 664 - शत्रु क्या दुख से


शत्रु क्या दुख से मेरा मारा मिला ।।
जैसे जो चाहा था वह सारा मिला ।।
कम न होता था जो , उसको देखकर ,
मुझको मेरे दुख से छुटकारा मिला ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...