Monday, January 26, 2015

राष्ट्र-प्रेम

मात्र जिह्वा से इसका मत उच्चारण करना ॥
देश-भक्ति को सदा हृदय में धारण करना ॥
निज-हित,स्वार्थ-पूर्ति को सब ही मरते हैं तुम ,
राष्ट्र-प्रेम को ही मरने का कारण करना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर अभिव्यक्ति।
गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपको...।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

आपको भी मयंक जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...