Friday, February 20, 2015

मुक्तक : चुप्पी-ख़ामोशी-सन्नाटे............


क्या ये चुप्पी-ख़ामोशी-सन्नाटे 
बात में बदलेंगे ?
क्या ये मौत-क़यामत आख़िर 
जीस्त-हयात में बदलेंगे ?
क्या मेरा फ़ौलाद-सब्र भी 
बच पाएगा गलने से ?
क्या वह दिन आएगा जिस दिन 
ये दिन रात में बदलेंगे ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...