Monday, February 9, 2015

159 : ग़ज़ल - ना बने तो मत बना.......


ना बने तो मत बना पर और मत बिगाड़ तू ॥
मत फटे में और टाँग को अड़ा के फाड़ तू ॥
आड़ वाले काम आड़ यदि न मिल सके न कर ,
कुछ भी हो कभी न करना खोलकर किवाड़ तू ॥
बेचकर के घोड़े सो रही हैं भेड़-बकरियाँ ,
और थोड़ी देर मूक रह न सिंह दहाड़ तू ॥
मैंने मरुथलों में फ़सलें रस भरी उगाईं हैं ,
प्यास तू बुझाले चूस किन्तु मत उजाड़ तू ॥
अपनी भूल पे मैं लाज से गड़ा हूँ पहले ही ,
कर कृपा भरी सभा में मत पुनः लताड़ तू ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...