Tuesday, February 10, 2015

मुक्तक : 670 - ( B ) - बाज नतमस्तक



एक चींटी से हुआ हाथी धराशायी ॥
शेर को चूहे ने मिट्टी-धूल चटवायी ॥
हारकर ख़रगोश लज्जित मंद कछुए से ,
बाज नतमस्तक चिड़ी की देख ऊँचाई ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...