Saturday, February 7, 2015

*मुक्त-मुक्तक : 670 - झूठे राजा हरिश्चन्द्र


लुंज केंचुए मेनकाओं को नृत्य सिखाते हैं ॥
झूठे राजा हरिश्चन्द्र को सत्य सिखाते हैं ॥
सूरदास इस नगर के वितरित करते-फिरते दृग ,
सदगृहस्थ को अविवाहित दांपत्य सिखाते हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...