Thursday, February 26, 2015

मुक्तक : 675 - न दिल अब निगोड़ा


न दिल अब निगोड़ा यहाँ लग रहा है ॥
न इतना भी थोड़ा वहाँ लग रहा है ॥
चले क्या गए ज़िंदगी से वो मेरी –
मुझे सूना-सूना जहाँ लग रहा है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...