Wednesday, February 4, 2015

मुक्तक : 667 - पैर तुड़वाकर भी बस चलते रहे


पैर तुड़वाकर भी बस चलते रहे रे ॥
तेल-बाती ख़त्म कर जलते रहे रे ॥
तेरी मर्ज़ी ,आग तेरी ,तेरे साँचे ,
लोह से हम मोम बन ढलते रहे रे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...