Tuesday, February 24, 2015

मुक्तक : 674 - तेरे जलवों की


नहीं मेरे अकेले की ये लाखों की हजारों की ॥
तेरे जलवों की तेरे दीद की तेरे नज़ारों की ॥
बख़ूबी जानते हैं तू कभी आया न आएगा ,
सभी को है मगर आदत सी तेरे इंतज़ारों की ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...