नहीं मेरे अकेले की ये लाखों
की हजारों की ॥
तेरे जलवों की तेरे दीद की तेरे
नज़ारों की ॥
बख़ूबी जानते हैं तू कभी आया न
आएगा ,
सभी को है मगर आदत सी तेरे इंतज़ारों
की ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
Excellent blog
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धन्यवाद ! GathaEditor Onlinegatha जी !
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