Friday, November 27, 2015

मुक्तक : 783 - दो ख़बर ॥



झूठ है , झूठ है , झूठ है हाँ मगर ॥
दोस्तों-दुश्मनों सबको कर दो ख़बर ॥
कम से कम मुंतज़िर मेरी मैयत के जो ,
उनसे कह दो कि मैं कल गया रात मर ॥
( मुंतज़िर = प्रतीक्षारत , मैयत = मृत्यु )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...