भले नाकाम लेकिन तह-ए-दिल
से करना हर कोशिश ॥
जिसे पाना न हो मुमकिन उसी
की पालना ख़्वाहिश ॥
इसे तुम चाहे जो समझो मोहब्बत
, इश्क़, मह्वीयत ,
मेरी नज़रों में है ये ख़ुद
की ख़ुद से बेतरह रंजिश ॥
( ख़्वाहिश =इच्छा ,मोहब्बत , इश्क़ =प्रेम,प्यार ,मह्वीयत =
आसक्ति ,रंजिश= बैर )
-डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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