सच न केवल दृगपटल में ही अवस्थित है ॥
अपितु मन के तल में भी अब वह प्रतिष्ठित है
॥
उसकी ही संप्राप्ति अंतिम ध्येय जीवन का -
दूसरा कोई न मेरा लक्ष्य निश्चित है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
5 comments:
धन्यवाद ! मयंक जी !
सराहनीय !
धन्यवाद ! प्रतिभा सक्सेना जी !
उत्तम
धन्यवाद ! abhishek shukla जी !
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