Saturday, March 28, 2015

मुक्तक : 685 - इक अहा सौ


इक अहा सौ आहों के भरने के बाद ।।
हिम सी यदि ठंडक मिले जरने के बाद ।।
ऐसी आहा ऐसी शीतलता है ऐसी ,
फिर से ज्यों जी जाए जिव मरने के बाद ।।
[ जरने=जलना ,जिव=जीव ]
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...