Friday, March 13, 2015

मुक्तक : 680 - कल मैं आसान था


कल मैं आसान था पर आज सख़्त-मुश्किल हूँ ॥
पहले वीरान था अब पुरशबाब महफ़िल हूँ ॥
वक़्त-ओ-हालात ने घिस-घिस के कर दिया पैना ,
पहले मक़्तूल था अब खौफ़नाक-क़ातिल हूँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...