Monday, March 2, 2015

मुक्तक : 678 - क्यों लगे है हूँ पीछे ?


क्यों लगे है हूँ पीछे होके सब ही से आगे ?
किस तरह के ये मेरे सोये भाग हैं जागे ?
जब से आई है कोमल सेज मेरी मुट्ठी में ,
नींद आँखों से मेरी छूट-छूट कर भागे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...