Thursday, March 19, 2015

मुक्तक : 682 - जादू सा कोई मुझपे


जादू सा कोई मुझपे यकायक ही चल गया ?
नाक़ाबिले-तब्दील मैं पूरा बदल गया ॥
पहले तो भरा रहता था सीने में भी दिमाग़ ,
अब सिर से भी कमबख़्त छलक कर निकल गया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...