Thursday, March 26, 2015

मुक्तक : 684 – सच न केवल


सच न केवल दृगपटल में ही अवस्थित है ॥
अपितु मन के तल में भी अब वह प्रतिष्ठित है ॥
उसकी ही संप्राप्ति अंतिम ध्येय जीवन का -
दूसरा कोई न मेरा लक्ष्य निश्चित है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...