Sunday, March 1, 2015

मुक्तक : 677 - मत इश्क़ को समझना


उसको हिसाब का नहीं मीज़ान समझना ॥
छोटा न लतीफ़ा बड़ा दीवान समझना ॥
कुछ भी भले समझना , समझना न तू मुश्किल ,
पर इश्क़ को समझना न आसान समझना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...