मैं सब कुछ हो मगर उनकी नज़र में कुछ नहीं था रे !!
हो ऊँचा आस्माँ लगता उन्हें नीची ज़मीं था रे !!
कहा करते थे वो तब भी मुझे बदशक्ल ,बदसूरत ,
ज़माना जब मुझे सारा कहा करता हसीं था रे !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
4 comments:
nazer dekhti hai asma kaise kaise, anupam kriti.
धन्यवाद ! Aradhana Rai जी !
nice
धन्यवाद ! Mahesh Kumar जी !
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