Monday, December 1, 2014

मुक्तक : 649 - नकली तेल-डालडा............


नकली तेल-डालडा से असली घृत हो जाता ॥
कालकूट के जैसे विष से अमृत हो जाता ॥
तेरा मुझको छू लेना यदि संभव होता तो ,
मैं निर्जीव चिता पे लेटा जागृत हो जाता ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...