Tuesday, December 30, 2014

मुक्तक : 655 - सुंदरता को द्विगुणित करके


सुंदरता को द्विगुणित करके अलंकरण से ॥
चलती जब वह हौले-हौले कमल चरण से ॥
यदि अति कायर भी उसके संग को तरसता ,
फिर उसको पाने वो डरता नहीं मरण से ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...