डर किसका था तुमको ?
क्यों मुझसे पूछा न -
एक बार बतलाओ ?
तुम मुझपे मरते रहे ,
बिन पूछे करते रहे ,
चाँद को चकोरे सा
क्यों ये प्यार बतलाओ ?
सोची न युक्ति कभी ,
चाही न मुक्ति कभी ,
कैसे होता भाटा
प्रेम ज्वार बतलाओ ?
तुम यों ही देते रहे ,
बिन दाम हम लेते रहे ,
कैसे होगा चुकता
ये उधार बतलाओ ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
10 comments:
सुन्दर हे
धन्यवाद ! anto pd जी !
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (08-12-2014) को "FDI की जरुरत भारत को नही है" (चर्चा-1821) पर भी होगी।
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सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद ! मयंक जी !
बहुत बढ़िया ....तस्वीर बहुत सुन्दर लगी ..
बहुत सुंदर, प्रेम में उधारी कैसी।
धन्यवाद ! Kavita Rawat जी !
धन्यवाद ! Asha Joglekar जी !
bahut hi sunder rachna va chitr
धन्यवाद ! Lekhika 'Pari M Shlok' जी !
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