Tuesday, December 2, 2014

मुक्तक : 650 - तुम माँगते जो कंकड़


तुम माँगते जो कंकड़ सच देता मैं नगीना ॥
तुम करते दिन तलब झट दे देता मैं महीना ॥
जब वक़्त मेरी मुट्ठी में था न आये तब तुम ,
तब क्यों न आये तुम जब तलवों में था दफ़ीना ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...