Friday, December 25, 2015

मुक्तक : 794 - तेरा ही लालच है ॥



सफ़ेद झूठ नहीं है ये सच निरा सच है ॥
भरा हुआ तू हृदय में मेरे खचाखच है ॥
ये बुद्धि कहती है मुझको है तू असंभव ही ,
करूँ क्या ? मन को तेरा बस तेरा ही लालच है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...