Sunday, December 13, 2015

मुक्तक : 790 - करो तृप्त ॥




प्यासा ही रक्खो मुझको या करो तृप्त ॥
भर दो पूरा या तल तक कर चलो रिक्त ॥
मैं अतिवादी रखता पूर्णत्व की चाह ,
फीका हो मीठा तो मुझको लगे तिक्त ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

2 comments:

Sarik Khan Filmcritic said...

साहित्य सृजन परिषद Gadarwara की काव्य गोष्ठी में आप सादर आमंत्रित हैं

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । सारिक ख़ान जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...