Thursday, December 24, 2015

मुक्तक : 793 - पीने से रोक लेते ?



मर-मर के मुझको गर तुम जीने से रोक लेते ॥
सीना अड़ा के अपने सीने से रोक लेते ॥
क्यों होता बादाकश ? क्यों बेगाना होश से मैं ?
पहली ही काश ! बोतल पीने से रोक लेते ?
( बादाकश=शराबी )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...