Monday, December 7, 2015

मुक्तक : 787 - नहीं कोई मेरा अपना




ख़ुद पे ख़ुद का दिल तहेदिल से लुटाता हूँ ॥
ख़ुद को ख़ुद के ही गले कसकर लगाता हूँ ॥
क्योंकि बनता ही नहीं कोई मेरा अपना ,
ख़ुद को ख़ुद का आईना तक मैं बनाता हूँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...