Monday, December 14, 2015

मुक्तक : 791 - जंगलों में परिंदे




हाँ , जंगलों में परिंदे व जानवर देखे ॥
नदी , तलाव में मछली , बतख़ , मगर देखे ॥
जो ढूँढने को चले तेरे शह्र में इंसाँ ,
मिले तमाम फ़रिश्ते , न पर बशर देखे !!
( फ़रिश्ते =देवता  / बशर =इंसान )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...