Wednesday, December 2, 2015

मुक्तक : 785 - जहन्नुम




मर्ज़ इक तो लाइलाज़ उस पर ये तुर्रा कर्क है ॥
ज़िंदगी पूरी जहन्नुम , एक रौरव नर्क है ॥
फिर भी रोके है हमें तू ज़ह्र पीने से अरे ,
ख़ुदकुशी के वास्ते इस से बड़ा क्या तर्क है ?
( कर्क=कैंसर , रौरव=एक भयानक नर्क ,तर्क=दलील )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...