Sunday, October 13, 2013

फिर से जग को...................


फिर से जग को चाहिए रामचन्द्र प्रादर्श ॥ 
अब तक हुआ न दूसरा उन जैसा आदर्श ॥ 
डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...