Tuesday, October 1, 2013

मुक्तक : 354 - तेरे क़द के आगे



तेरे क़द के आगे ऊँचे-ऊँचे भी बौने ॥
इक तू ही लगता पूरा दूजे औने-पौने ॥
वो शख़्सियत है तू जिसका कोई भी नहीं सानी ,
तू बस शेरे-बब्र और सब बकरी-मृगछौने ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

Ghanshyam kumar said...

"वो शख़्सियत है तू जिसका कोई भी नहीं सानी..."

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...