Monday, October 28, 2013

मुक्तक : 358 ( B ) - चलती गाड़ी के लिए


चलती गाड़ी के लिए लाल सी झंडी होगा ।।
 बर्फ़ उबलता वो ; चाय फ़ीकी औ ठंडी होगा ।।
अजनबी है वो मगर मुझको लगता चेहरे से ,
उसके जैसा न कोई दूजा घमंडी होगा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...