Sunday, October 6, 2013

मुक्तक : 356 - तू काट कर भी


तू काट कर भी रख दे मेरे पाँव मैं मगर ,
पूरा करूँगा जिसपे चल पड़ा हूँ वो सफ़र ॥
राहों को भर दे चाहे तू नुकीले काँटों से ,
मज़्बूत इरादों से ढ़ूँगा मैं वो रौंदकर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...