क़ाफ़ी जद्दोजहद के मुश्किलों
के बाद मिला ।।
तीखी कड़वाहटों के बाद
मीठा स्वाद मिला ।।
अपनी तक़्दीर कि लाज़िम जो जब भी हमको रहा ,
उससे कम ही हमेशा पाया
कब ज़ियाद मिला ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
3 comments:
धन्यवाद ! Sriram Roy जी !
सुन्दर प्रस्तुति।
साझा करने के लिए धन्यवाद।
धन्यवाद ! रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी !
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